सुविधाओं का घोर अभाव, मौत के तीन दिन बाद आई जांच रिपोर्ट
सेहतराग टीम
देश में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने को लेकर विभिन्न सरकारें आसमानी दावे करती हैं मगर आज भी स्वाइन फ्लू जैसी बीमारी की जांच की सुविधा देश के बड़े शहरों में भी उपलब्ध नहीं है। इसका खामियाजा मरीजों को अपनी जान देकर चुकाना पड़ रहा है।
ताजा मामला इंदौर का है जहां स्वाइन फ्लू से 35 वर्षीय महिला की 19 जनवरी को मौत हो गई। महिला को स्वाइन फ्लू (एच1एन1 फ्लू) होने की पुष्टि 22 जनवरी को आई जांच रिपोर्ट में हुई। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इंदौर में स्वाइन फ्लू की जांच की सुविधा नहीं है।
समेकित रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) के जिला प्रभारी डॉ. अमित मालाकार के अनुसार स्वाइन फ्लू की शिकार महिला महू कस्बे की रहने वाली थी। उसे इंदौर के एक निजी अस्पताल में 17 जनवरी को भर्ती कराया गया था। स्वाइन फ्लू की जांच के लिए उसका स्वाब नमूना 18 जनवरी को भोपाल के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) भेजा गया था और इसकी रिपोर्ट 22 जनवरी को आई जिसमें महिला को एच1एन1 फ्लू होने की पुष्टि हुई। मगर इससे तीन दिन पहले 19 जनवरी को ही महिला की मौत हो गई।
मालाकार ने कहा, ‘इलाज के दौरान महिला की शनिवार को मौत हो गयी। हमें भोपाल के एम्स से आज ही जांच रिपोर्ट मिली, जिसमें वह स्वाइन फ्लू पॉजीटिव पायी गयी।’ हालांकि उन्होंने यह भी दावा किया कि जांच रिपोर्ट आने में देरी से महिला के इलाज पर खास असर नहीं पड़ा और उसे पहले ही लक्षणों के आधार पर स्वाइन फ्लू की दवा टेमीफ्लू दी जा रही थी मगर इसका कोई खास असर नहीं हुआ और महिला की मौत हो गई।
गौरतलब है कि ये सिर्फ इंदौर का मामला नहीं है बल्कि देश के अधिकांश शहरों की यही स्थिति है। वायरोलॉजी लैब की कमी के कारण इस प्रकार के जांच के लिए मरीजों के सैंपल नजदीकी बड़े शहर में भेजे जाते हैं जहां सैंपल भेजने से लेकर रिपोर्ट आने में लंबा समय लग जाता है और इसके कारण मरीज के इलाज में देर होती है। ये स्थिति कई मरीजों के लिए जानलेवा साबित होती है।
इंदौर के मामले में स्थिति ये है कि वहां के सरकारी महात्मा गांधी स्मृति (एमजीएम) चिकित्सा महाविद्यालय में वायरोलॉजी लैब बनाया जाना प्रस्तावित है मगर इस दिशा में अभी बहुत काम बाकी है।
इंदौर में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक एक जनवरी से अब तक स्थानीय अस्पतालों के नौ मरीजों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई हैं इनमें से तीन लोगों की मौत है चुकी है। इनके अलावा, 13 संदिग्ध मरीज ऐसे हैं जिनके स्वाब नमूने भेजे जाने के बाद भी स्वाइन फ्लू की जांच रिपोर्ट भोपाल के एम्स से अब तक नहीं आई है।
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